उच्च उत्पादन के लिए धान की किस्में: भारत में अधिक फसल प्राप्त करने के तरीके
उच्च उपज देने वाली धान की किस्में: स्थायी खेती के लिए उत्पादन में वृद्धि
धान (चावल) भारत की प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है और इसकी खेती लगभग हर राज्य में की जाती है। बढ़ती जनसंख्या और बदलते जलवायु परिस्थितियों के साथ, उच्च उपज देने वाली धान की किस्में स्थायी खेती के लिए महत्वपूर्ण हो गई हैं। इस लेख में, हम भारत में उच्च उपज देने वाली धान की 10 प्रमुख किस्मों के बारे में चर्चा करेंगे, प्रत्येक राज्य में प्रमुख उच्च उपज वाली किस्में बताएंगे, और सूखा तथा जलयुक्त परिस्थितियों के लिए उपयुक्त किस्मों का विवरण देंगे।
भारत की उच्च उपज देने वाली धान की 10 प्रमुख किस्में
- IR 64:
- उपज: 5.5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह एक लोकप्रिय और व्यापक रूप से उगाई जाने वाली किस्म है। इसका पौधा मध्यम ऊँचाई का होता है और इसे रोग प्रतिरोधी माना जाता है।
- सविता:
- उपज: 6 - 7 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म उत्तर भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है। इसकी खेती मुख्यतः खरीफ मौसम में की जाती है और यह उच्च उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है।
- Pusa Basmati 1121:
- उपज: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह बासमती की एक प्रमुख किस्म है, जो अपनी लंबी और पतली दानों के लिए प्रसिद्ध है। इसका सुगंध और स्वाद विशेष रूप से निर्यात बाजार में उच्च मांग में है।
- Swarna:
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म मुख्यतः पूर्वी भारत में उगाई जाती है। यह मीडियम लेट श्रेणी में आती है और खराब जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
- MTU 1010:
- उपज: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोकप्रिय, यह किस्म शीघ्र पकने वाली है और इसे अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है।
- Jaya:
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह एक प्राचीन किस्म है जो विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में उगाई जाती है। इसकी अच्छी पकने की अवधि और स्थिर उपज क्षमता है।
- Sharbati:
- उपज: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह बासमती प्रकार की एक किस्म है जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। इसके दाने लंबे और पतले होते हैं।
- PR 114:
- उपज: 5.5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: पंजाब और हरियाणा में प्रचलित, यह किस्म रोग प्रतिरोधी है और अच्छा उत्पादन देती है।
- MTU 7029 (Samba Mahsuri):
- उपज: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय है। यह मध्य देर से पकने वाली है और इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं।
- Lalat:
- उपज: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में उगाई जाती है। इसे शीतल वातावरण और जलयुक्त क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते देखा गया है।
राज्यवार उच्च उपज देने वाली धान की प्रमुख किस्में
- उत्तर प्रदेश:
- सावित्री: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- शरबती: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- पंजाब:
- PR 121: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- PR 114: 5.5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- हरियाणा:
- सुपर बासमती: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
- PR 126: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- बिहार:
- सविता: 6 - 7 टन/हेक्टेयर
- राजश्री: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- पश्चिम बंगाल:
- Swarna: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- Lalat: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- तमिलनाडु:
- IR 20: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- ADT 36: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- आंध्र प्रदेश:
- MTU 1010: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- Samba Mahsuri: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- महाराष्ट्र:
- जया: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- Phule Samarth: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- कर्नाटक:
- कर्नाटक:
- Jaya: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- Kaveri: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- ओडिशा:
- Lalat: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- Naveen: 4.5 - 5 टन/हेक्टेयर
- छत्तीसगढ़:
- संपद: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- मणि धान: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- झारखंड:
- Sahbhagi Dhan: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- Birsa Dhan 201: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
- मध्य प्रदेश:
- Sharbati: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- Pusa 44: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- गुजरात:
- GR 11: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- GAR 13: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- राजस्थान:
- Ranjeet: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- Pusa Basmati 1: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
- उत्तराखंड:
- Pant Dhan 12: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- Pant Basmati 1: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
सूखा प्रतिरोधी धान की किस्में
- Sahbhagi Dhan:
- उपज: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म झारखंड और छत्तीसगढ़ में सूखे क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसे सूखा प्रतिरोधक क्षमता के लिए विकसित किया गया है।
- DRR Dhan 44:
- उपज: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह सूखा प्रतिरोधी किस्म आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लिए उपयुक्त है।
- Anjali:
- उपज: 3.5 - 4.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: उड़ीसा में प्रचलित, यह किस्म सूखे और निम्न नमी वाली मिट्टी में अच्छी तरह उगाई जाती है।
- NDR 97:
- उपज: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: उत्तर प्रदेश और बिहार के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उपयुक्त।
जलयुक्त परिस्थितियों के लिए धान की किस्में
- Swarnadhan:
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह पश्चिम बंगाल और ओडिशा में उगाई जाती है, जहां पानी की उच्च उपलब्धता होती है।
- Swarna Sub-1:
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह किस्म जलमग्न परिस्थितियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती है और बाढ़ सहनशील होती है।
- IR 64 Sub-1:
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: यह जलमग्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और बाढ़ के समय में भी उच्च उपज देती है।
- Khitish:
- उपज: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
- विशेषता: बंगाल और असम में, यह किस्म जलमग्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करती है।
रोग प्रतिरोधक धान की किस्में
- Pusa 44:
- रोग प्रतिरोधकता: ब्लास्ट और बीएलबी (बैंगनी पत्ती का धब्बा) के प्रति प्रतिरोधी
- उपज: 4 - 5 टन/हेक्टेयर
- IR 36:
- रोग प्रतिरोधकता: ब्राउन प्लांट हॉपर और ग्रीस होपर के प्रति प्रतिरोधी
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- Jaya:
- रोग प्रतिरोधकता: पर्ण धब्बा और शीथ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- MTU 7029 (Samba Mahsuri):
- रोग प्रतिरोधकता: बीएलबी और ब्लास्ट के प्रति प्रतिरोधी
- उपज: 5 - 6.5 टन/हेक्टेयर
- Improved Samba Mahsuri:
- रोग प्रतिरोधकता: बीएलबी के प्रति उच्च प्रतिरोध
- उपज: 5 - 6 टन/हेक्टेयर
- BR 11:
- रोग प्रतिरोधकता: ब्लास्ट और बीएलबी के प्रति प्रतिरोधी
- उपज: 4 टन
- उपज: 4.5 - 5.5 टन/हेक्टेयर
निष्कर्ष
भारत में धान की उच्च उपज देने वाली किस्में कृषि उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रत्येक क्षेत्र और जलवायु के लिए उपयुक्त किस्म का चयन करना और उसे सही तकनीकों के साथ उगाना, कृषि में सफलता की कुंजी है। ऊपर सूचीबद्ध किस्में विभिन्न राज्यों और परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जानी जाती हैं, और इन्हें अपनाकर किसान अपनी उत्पादकता और आय में सुधार कर सकते हैं।
- कर्नाटक:
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